जीवन मात्र भौतिक
इन्द्रियों तक सीमित न रहे | हमारा जीवन आध्यात्मिक हो, फिर हम संसार के कार्यों
को भी करें | अध्यात्म का अर्थ पलायन नहीं है | विहंगम योग का सन्देश यह नहीं है
कि अपने कर्त्तव्यों का पालन न करो | जो भी सांसारिक कर्त्तव्य है उनका उचित रीति
से पालन करो, लेकिन एक जो महान् कर्त्त्व्य है सर्वोत्कृष्ट कर्त्तव्य है, जो
प्रधान कर्त्तव्य है उसके प्रति भी सचेष्ट हो जाओ |
-संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज
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