स्वर्वेद एक ऐसा
सद्ग्रन्थ है ,जिसमें मात्र सद्गुरु की अनुभव वाणी है, जिस ज्ञान को उन्होंने
समाधिजन्य अवस्था में प्राप्त किया उसी ज्ञान को लिपिबद्ध किया |स्वामी जी ने कभी भी किसी दूसरे ग्रन्थ का सहारा नहीं लिया | क्योंकि उनकी भौतिक शिक्षा शून्य थी, उनके पास मात्र
एक विद्या थी और वह थी आध्यात्मिक विद्या |
विहंगम योग केवल धारणा, ध्यान एवं समाधि की ही बात नहीं करता,
मानव को गूढ़ आध्यात्मिकता की ओर ही नहीं ले जाता बल्कि विहंगम योग के
द्वारा तो सर्वांगीण विकास होता है | संस्थान की सामाजिक और आध्यात्मिक
गतिविधियाँ सतत् संचालित हैं |संस्थान मानव-सेवा का कार्य करता है |सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों
प्रकार का कार्य इस संस्थान द्वारा संचालित होता है |
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